सोमवार, 15 अगस्त 2022

मातृभूमि आदिशक्ति


मातृभूमि  आदिशक्ति

                                                     


त्वमेव  मातृभूमिका      त्वमेव    मातृकाक्षरा ।

त्वमेव सुप्रसू-परा             त्वमेव धी-परापरा ।।१।।

      

त्वमेव   मन्त्रसंहिता     त्वमेव    वाङ्मयाश्रया ।

त्वमेव   सर्वचिन्मया     महालया   शुभाश्रया ।।२।।


सहस्र-दीप-दीपिनी ज्वलल्लिपिं सुलिम्पिनी ।

सुवर्ण-स्वर्ण-तापिता  तपस्विनी   प्रतापिनी ।।३।।


सुभुक्ति-मुक्ति-शुक्तिनी विनाश-घात-घातिनी ।

सदातियुद्ध-घातिनी  महाति   शत्रु - पातिनी ।।४।।


प्रचण्ड-चण्ड-चण्डिका  चमच्चमत्कृताङ्गिनी । 

शिवा सुशैल-श्रृङ्गिणी    सुचारु-सर्व-सङ्गिनी ।।५


कराल-काल-कालिके  कपाल-मालिनी-कले ।

त्वमेव मातृ-मातृके       नमामि    पुत्रवत्सले ।।६।।


त्वमेव  भारती  मही    त्रिकोण-देश-वासिनी ।

त्रिकोण-मानचित्रिणी  सुयन्त्रिणी सुहासिनी ।।७।।




यदा सुशान्तिरागता    त्वमेव शान्तिरूपिणी ।

यदा   महापदागता       त्वमेव  प्राणरक्षिणी ।।८।।


त्वमेव चण्ड-चण्डिका  यदा हि युद्धमागता ।

त्वमेव शक्ति-सञ्चिता यदा हि क्षीणतागता ।।९।।


समुद्र-त्रिक-भुजाधृता हिमाद्रि-मण्डपाच्छदा ।

नदी-सहस्त्रधा  सदा   सुशोभिता  सुतीर्थदा ।।१०।।


सुमङ्गली  धराम्बरा    चिदम्बरा   ऋतम्भरा ।

सदाशु-सत्यमेव तु     स्वयम्प्रभा  स्वयंवरा ।।११।।


अनिन्द्यसुन्दरी  विशाललोचना  सुभाषिणी ।

अनुत्तरा अनच्क-शून्य-अच्क-सर्वतोषिणी ।।१२।।


सदा   सुदेव-संस्तुता      सदा  महर्षि-पूजिता ।

सदा सुशस्य-स्वस्तिका सदा सुमन्त्र-कूजिता ।।१३।।



ममत्व-मुर्ति-मङ्गला     समत्व-सूक्ति-सङ्गमा ।

समस्त-वेद-वन्दना   सुतन्त्र-मन्त्र-आगमा ।।१४।।


विभूति-भूति-भावना सुकल्प-कल्प-कल्पना ।

त्वमेव  पुत्रवत्सला      वसुन्धरा  शुभाल्पना ।।१५।।


त्वमेव  वागधीश्वरी      सरस्वती   विभावना ।

पुरातनी   सुनूतना      द्विकूलगा   सनातना ।।१६।।


नमामि  देवि  मातृके    नमामि  मातृभूमिके ।

नमामि  भूमिमातृके   नमामि  कष्ट-शामिके ।।१७।।


त्वमेव  मातृभूमि  हे!      सुभूमिमातृके  परे ।

नमामि दिव्यज्ञानदे    नमामि ध्यान-श्री-धरे ।।१८।।



 ।।इति श्रीनिशान्तकेतुविरचितं आदिशक्तिमातृभूमिस्स्तोत्रं सम्पूर्णम्।।


1 टिप्पणी:

  1. अतीव सुंदर। मैं दो दशकों से इसे खोज रहा था। और मिली भी तो सन् २०२३ के गणतंत्र दिवस पर। अद्भुत संयोग!

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