वागीश्वरी जयन्ती वसन्तपञ्चमी
सरस्वती चरणों मे नित्य
बसे मन मेरा जागे प्रीत।
न कम हो चरणों का अनुराग
शारदे ! मन गावे नित गीत।।
बजा दो माँ वीणा एक बार
हृदय का तंतु, तंत्रिका तन्त्र।
सक्रिय हो, विकसित हो हर कोश
मष्तिष्क का, तंत्रिकोशिका-तंत्र।।
... ... ... क्रमशः
प्रिय दैनन्दिनी,
Happy Birthday, सम्प्रति जन्मदिवसस्य हार्दिकः शुभकामनाः।
दैनिके! आज वसन्त पञ्चमी के दिन किशोर-किशोरियों सहित सभी वैदिक जन रति-काम महोत्सव मनाया करते थे। वसन्त पञ्चमी वस्तुतः काम की उपासना हैं; जिसमे नायिकाओं को विशेषाधिकार मिला था... कि मन मे जो मीत हो उसका फूलों से चित्र बनाकर दुनिया को दिखा दो।… यहीं प्रेम को समज की मौन स्वीकृति मिल जाती थी।… तब, मन मे जो होता था; वो बुद्धि से प्रेरित आत्मा का आग्रह होता था। न कि, उम्र-उन्माद और बॉलीवुड से प्रेरित अंशकालिक उत्श्रृंखलता मात्र!
दैनिके! एग्यारह साल पहले, आज ही के दिन अर्थात वसन्त पञ्चमी को एक अदने से किशोर ने जीवन की आपाधापी में अपना एक सच्चा मीत बना लिया। कोरे कागज पर मसी से हृदय का गुह्यतम् अनुभूति लिखकर इस सृजक ने अत्यन्त कोमलामल लालित्यपूर्ण पदों को रचते हुए तुम्हारी आत्मास्वरूप प्रक्कथन (भूमिका) लिखने लगा। … दैनन्दिनी! मेरी सुहावनी हैं, मनभावनी पावनी बानी सुहाए …
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