मातृभूमि आदिशक्ति
त्वमेव मातृभूमिका त्वमेव मातृकाक्षरा ।
त्वमेव सुप्रसू-परा त्वमेव धी-परापरा ।।१।।
त्वमेव मन्त्रसंहिता त्वमेव वाङ्मयाश्रया ।
त्वमेव सर्वचिन्मया महालया शुभाश्रया ।।२।।
सहस्र-दीप-दीपिनी ज्वलल्लिपिं सुलिम्पिनी ।
सुवर्ण-स्वर्ण-तापिता तपस्विनी प्रतापिनी ।।३।।
सुभुक्ति-मुक्ति-शुक्तिनी विनाश-घात-घातिनी ।
सदातियुद्ध-घातिनी महाति शत्रु - पातिनी ।।४।।
प्रचण्ड-चण्ड-चण्डिका चमच्चमत्कृताङ्गिनी ।
शिवा सुशैल-श्रृङ्गिणी सुचारु-सर्व-सङ्गिनी ।।५।
कराल-काल-कालिके कपाल-मालिनी-कले ।
त्वमेव मातृ-मातृके नमामि पुत्रवत्सले ।।६।।
त्वमेव भारती मही त्रिकोण-देश-वासिनी ।
त्रिकोण-मानचित्रिणी सुयन्त्रिणी सुहासिनी ।।७।।
यदा सुशान्तिरागता त्वमेव शान्तिरूपिणी ।
यदा महापदागता त्वमेव प्राणरक्षिणी ।।८।।
त्वमेव चण्ड-चण्डिका यदा हि युद्धमागता ।
त्वमेव शक्ति-सञ्चिता यदा हि क्षीणतागता ।।९।।
समुद्र-त्रिक-भुजाधृता हिमाद्रि-मण्डपाच्छदा ।
नदी-सहस्त्रधा सदा सुशोभिता सुतीर्थदा ।।१०।।
सदाशु-सत्यमेव तु स्वयम्प्रभा स्वयंवरा ।।११।।
अनिन्द्यसुन्दरी विशाललोचना सुभाषिणी ।
अनुत्तरा अनच्क-शून्य-अच्क-सर्वतोषिणी ।।१२।।
सदा सुदेव-संस्तुता सदा महर्षि-पूजिता ।
सदा सुशस्य-स्वस्तिका सदा सुमन्त्र-कूजिता ।।१३।।
समस्त-वेद-वन्दना सुतन्त्र-मन्त्र-आगमा ।।१४।।
विभूति-भूति-भावना सुकल्प-कल्प-कल्पना ।
त्वमेव पुत्रवत्सला वसुन्धरा शुभाल्पना ।।१५।।
त्वमेव वागधीश्वरी सरस्वती विभावना ।
पुरातनी सुनूतना द्विकूलगा सनातना ।।१६।।
नमामि देवि मातृके नमामि मातृभूमिके ।
नमामि भूमिमातृके नमामि कष्ट-शामिके ।।१७।।
त्वमेव मातृभूमि हे! सुभूमिमातृके परे ।
नमामि दिव्यज्ञानदे नमामि ध्यान-श्री-धरे ।।१८।।
।।इति श्रीनिशान्तकेतुविरचितं आदिशक्तिमातृभूमिस्स्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
अतीव सुंदर। मैं दो दशकों से इसे खोज रहा था। और मिली भी तो सन् २०२३ के गणतंत्र दिवस पर। अद्भुत संयोग!
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